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Showing posts from 2011

आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों की झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,...

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आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों की झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो, आन-बाण-शान या कि जान का हो दान आज एक धनुष की बाण पर उतार दो, आरम्भ है प्रचंड ... मन करे सो प्राण दे जो मन करे सो प्राण ले वही तो एक सर्व शक्तिमान है, विश्व की पुकार है ये भागवत का सार है कि युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है, कौरवों की भीड़ हो या पांडवों की नीर हो जो लड़ सका है वो ही तो महान है... जीत की हवस नहीं, किसी पे कोई वश नहीं, क्या जिंदगी है ठोंकरों पे मार दो.? मौत अंत है नहीं तो मौत से भी क्यों डरें, ये जा के आसमान में दहाड़ दो... आरम्भ है प्रचंड ... हो दया का भाव या कि शौर्य का चुनाव या कि हार का हो घाव तुम ये सोच लो, या कि पूरे भाल भर जला रहे विजय का लाल, लाल ये गुलाल तुम ये सोच लो, रंग केसरी हो या मृदंग केसरी हो या कि केसरी हो लाल तुम ये सोच लो... जिस कवि की कल्पना में जिंदगी हो प्रेमगीत उस कवि को आज तुम नकार दो, भींगती नसों में आज फूलती रगों में आज आग की लपट का तुम बघार दो, आरम्भ है प्रचंड .... आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों की झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो, आन-बाण-शान या कि जान का हो दान आज एक धनुष

फिर ना कभी दीवाने ने किसी से मोहब्बत-ऐ-इज़हार किया..........

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फिर ना  कभी दीवाने ने किसी से मोहब्बत-ऐ-इज़हार किया, एक दीवाने ने एक हसीना को बेइंतहा प्यार किया, अपनी खुशियाँ, अपने सपने सब कुछ उस पर वार दिया ! लेकिन हसीना ने उसे हर वक़्त धोखे में रखा, और एक दिन बेवफाई का खंजर उसके सीने में उतार दिया ! हसीना ने मजबूरियों को सहारा बनाके उससे किनारा कर लिया, और दीवाने ने भी उसकी यादों से ही गुजारा कर लिया ! तन्हाई में जब हसीना का दिल न लगा, तो उसने दीवाने से दोबारा आँख मिलाई ! दीवाना तो उसके प्यार में बिलकुल ही अँधा था, तो समझ लिया हसीना के धोखे को प्यार की सच्चाई ! एक दिन दीवाने ने उसे अपना बनाने की बात की, मगर हसीना ने फिर वहीँ से सुरुआत की ! इस जख्म से दीवाने का दिल पूरी तरह चकनाचूर हुआ, प्यार करके धोखा देना अब दुनिया का दस्तूर हुआ ! दीवाने ने हिम्मत करके उससे नाता तोड़ दिया, उससे जुडी सब राहों से उसने मुह मोड़ लिया ! फिर कभी ना वो उन राहों पर गया, जहां उसे तन्हाई मिले, प्यार के बदले में हरदम सनम से बेवफाई मिले ! ये सब जान हसीना को अपनी किस्मत पर धिक्कार हुआ, अपनी बेवफाई को याद कर उसका दिल शर्मसार हुआ ! जब दोनों साथ थे तब दीवान

लड़कियों के डर

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लड़कियों के डर भी अजीब होते हैं, भीड़ में हों तो लोगों का डर, अकेले में हों तो सुनसान राहों का डर, गर्मी में हों तो पसीने से भीगने का डर, हवा चले तो दुपट्टे के उड़ने का डर, कोई न देखे तो अपने चेहरे से डर, कोई देखे तो देखने वाले की आँखों से डर, राह में कड़ी धूप हो तो, चेहरे के मुरझाने का डर, वो डरती हैं और तब तक डरती हैं, जब तक उन्हें कोई जीवन साथी नहीं मिल जाता, और वही व्यक्तित्व महान  होता हैं जिसे वो सबसे ज्यादा डराती हैं ..........

मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...

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मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा... अब कहाँ हूँ, कहाँ नहीं हूँ मैं... जिस जगह हूँ, वहाँ नहीं हूँ मैं... कौन आवाज़ दे रहा है मुझे... ? कोई कह दे, यहाँ नहीं हूँ मैं...! मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा... दश्त मेरा ना ये चमन मेरा मैं के हर चंद, एक ख्व़ा ना नशीं  अंजुमन-अंजुमन सुखन मेरा... दश्त  मेरा ना ये चमन मेरा मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा... बर्ग-ए-गुल पर, चराग सा क्या है...? छू गया था उसे, दहन मेरा... दश्त  मेरा ना ये चमन मेरा मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...  मैं के टूटा हुआ सितारा हूँ... क्या बिगाड़ेगी, अंजुमन मेरा... दश्त  मेरा ना ये चमन मेरा मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा... हर घड़ी एक नया तकाज़ा है... दर्द-ए-सर बन गया, बदन मेरा दश्त  मेरा ना ये चमन मेरा मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...

जोश में होश खो जाना, जवानी की पहचान है...

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                                                  शबाब और शराब  छू लूं उसे, तो किसी की याद आ जाती है... अमावास की काली रातों में भी, परछाई नज़र आती है... होठों से लगा लूं तो सारी तन्हाई दूर हो जाती है... खाली बोतल में भी, किसी की खयाल डूब जाती है... खयालों से सीखा है, सपनों में डूबना... अनुभव बताया है, यादों में खोना... कुछ " सपना " भी तो किसी की याद ही है... यादों से सीखा है, किसी को पाना... गम का दौड़ हो या ख़ुशी की लहर, हंसी तो फिर भी आती है... हँसना और हँसाना, तन्हाई दूर कर जाती है... महफ़िल में भी तन्हा होना, आँखें परिलक्षित करती है... इसलिए तो आँखों में ही, किसी की तस्वीर झलकती है... जब नशा पर भी नशा का शक हो जाता है... नसीब भी कभी-कभी रास्ता बदल जाता है... नशा को नसीब और नसीब को नशा... बड़े खुशनसीब होते हैं वो, जब दोनों आसानी से मिल जाता है...        मधुशाला में " मधु ", जब तलाश करने से मिलता है... क़यामत आ जाती है, जब मधुशाला खाली पड़ जाता है... क्या होगा जब मधुशाला को  मधु  का

When a girl says she's sad.........................

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                                                               PYAAR 1. When a girl says she's sad, but she isn't crying, it means she's crying in her heart. 2. When she ignores you after you've done something wrong, it's best to give her some time to cool down before touching her heart with an apology. 3. A girl can't find anything to hate about the guy she loves (which is why it is so hard for her to 'get over him' after the relationship' s over.) 4. If a girl loves a guy, he will always be on her mind every minute of the day, even though she flirts with other guys. 5. When the guy she likes smiles and stares deep into her eyes, she will melt. 6. A girl likes to hear compliments, but usually not sure how to react to them. 7. When a particular guy flirts with a girl very often, a girl would start thinking the guy likes her. So if you treat a girl just as a friend, go easy on the smiles and stare ok? 8. If you don't like a

मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है...

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बरसात  बरसात भी आकर चली गयी, बादल भी गरज कर बरस गए.... पर उसकी एक झलक को हम, ए हुस्न के मालिक तरस गए... कब प्यास बुझेगी आँखों की, दिन रात ये दुखड़ा रहता है.... मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है.. .. कोई माने या ना माने, मैं हूँ आशिक आवारा... मैं हूँ दीवाना मुझको चाहत ने है मारा... ये चिकने-चिकने चेहरे ये गोरी-गोरी बाँहें... बेचैन मुझे करती है ये चंचल शौक अदाएं... मुझको मिली है ये बेचैनियाँ... लिखूं ख्यालों में कहानियां... माने न कहना पागल, मस्त पवन सा दिल ये डोले... हौले हौले .. जब भी कोई लड़की देखूं मेरा दिल दीवाना बोले ओले ओले ओले गाओ तराना यारो झूम झूम के हौले हौले  ओले ओले ओले ओले ओले ओले.. ..

लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ.....

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लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ.... .                        लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ... तुमने भी  शायद यही सोच लिया...                                                     किसी पे हुस्न का गुरूर, जवानी का नशा.... किसी के दिल में मुहब्बत की , रवानी का नशा... किसी को देख के साँसों से, उभरता है नशा.... बिना पिए भी कभी हद से, गुजरता है नशा. नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ जरा... किसी है होश मेरे सामने तो लाओ जरा... नशा है सब पे मगर रंग नशे का है जुदा... खिली -खिली  हुई सुबह पे है शबनम का नशा... हवा पे खुशबू का बादल पे है रिमझिम  का नशा.. .    कहीं शुरूर है खुशियों का , कहीं  गम का नशा... नशा शराब में होता तो, नाचती बोतल.... मयकदे झूमते पैमानों, में होती हल-चल... . नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ जरा... किसी है होश मेरे सामने तो लाओ जरा... लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ... तुमने भी शायद यही सोच लिया... थोड़ी आँखों से पिला दे रे सजनी दीवानी... तुझे साँसों में बसा लूँगा सजनी दीवानी... तुझे नौलखा माँगा दूंगा सजनी दीवानी.. .. लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ.... .

साड़ी सही नहीं चढ़ पाई है..

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            "  देखा है ग्रामों की अनेक रम्भाओं  को.... जिनकी आभा पर धूल अभी तक छाई है.....!!! रेशमी देह पर उन अभागिनों की अब तक,,,,... रेशम क्या.....? साड़ी सही नहीं चढ़ पाई है.................!!!!!!!!"    

होठों पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो....

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                                      तिरंगा  शोहरत ना अता करना मौला, दौलत ना अता करना मौला... बस इतना अता करना चाहे, जन्नत ना अता करना मौला... शम्मां-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो... होठों पर गंगा हो,  हाथो में तिरंगा हो.... बस एक सदा ही सुने सदा, बर्फीली मस्त हवाओं में... बस एक दुआ ही उठे सदा, जलते -तपते सेहराओं में... जीते जी इसका मान रखे, मर कर मर्यादा याद रहे... हम रहे कभी ना रहे मगर, इसकी सज-धज आबाद रहे... गोधरा ना हो, गुजरात ना हो, इंसान ना नंगा हो.... होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो.... रचना- कुमार विश्वाश

हर गली में मुमताज़ बनाते रहिये......

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                                                        ताज और मुमताज सफ़र लम्बा है दोस्त बनाते रहिये... दिल मिले-ना-मिले, हाथ बढ़ाते रहिये.... ताजमहल बनाना बहुत महंगा  (costly) पड़ेगा... इसलिए हर गली में मुमताज़ बनाते रहिये......

हंगामा , by kumar vishwash.....

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                                                    हंगामा भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठे तो हंगामा... हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठे तो हंगामा... अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का... मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.... हुए पैदा जो धरती पर, हुआ आबाद हंगामा... जवानी तो हमारी टल गयी हुआ बर्बाद हंगामा... हमारे भाल पर तकदीर ने लिख दिया जैसे... हमारे सामने हैं और हमारे बाद हंगामा... जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा... मुलाकातों, हँसीबातों , या जज्बातों का हंगामा... जवानी के क़यामत दौड़ में  ये  सोचते हैं सब... ये हंगामे की रातें  हैं या है रातों का हंगामा... रचना- कुमार विश्वाश

घायल सैनिक का पत्र - अपने परिवार के नाम...( कारगिल युद्ध )

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जय हिंद माँ से---    माँ तुम्हारा लाडला रण में अभी घायल हुआ है...    पर देख उसकी वीरता को, शत्रु भी कायल हुआ है...    रक्त की होली रचा कर, मैं प्रलयंकारी दिख रहा हूँ ...    माँ उसी शोणित से तुमको, पत्र अंतिम लिख रहा हूँ...    युद्ध भीषण था, मगर ना इंच भी पीछे हटा हूँ..    माँ तुम्हारी थी शपथ, मैं आज इंचो में कटा हूँ...    एक गोली वक्ष पर कुछ देर पहले ही लगी है...    माँ, कसम दी थी जो तुमने, आज मैंने पूर्ण की है...    छा रहा है सामने लो आँखों के आगे अँधेरा...    पर उसी में दिख रहा है, वह मुझे नूतन सवेरा...    कह रहे हैं शत्रु भी, मैं जिस तरह सौदा हुआ हूँ...    लग रहा है सिंहनी के कोख से पैदा हुआ हूँ...    यह ना सोचो माँ की मैं चिर-नींद लेने जा रहा हूँ ...    माँ, तुम्हारी कोख से फिर जन्म लेने आ रहा हूँ... पिता से---    मैं तुम्हे बचपन में पहले ही बहुत दुःख दे चुका हूँ...    और कंधो पर खड़ा हो, आसमां सर ले चुका हूँ...    तू सदा कहते ना थे, कि ये ऋण तुम्हे भरना पड़ेगा..    एक दिन कंधो पे अपने, ले मुझे चलना पड़ेगा...    पर पिता! मैं भार अपना तनिक हल्का कर ना पाया...    ले

Rashmirathi - Ramdhari singh 'dinkar'... statements of Karna....

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अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,  कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से। निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर, वन्यकुसुम-सा खिला जग की आँखों से दूर। alag nagar ki kolahal se, alag puri purjan se... kathin saadhna me udyogi, laga hua tan-man se... niz saadhna me nitrat sada, niz karmathta me choor... wanya kusum sa khila KARNA, jag ki aankho se door... पूछो मेरी जाति, शक्ति हो तो, मेरे भुजबल से, रवि-समाज दीपित ललाट से, और कवच-कुण्डल से। पढो उसे जो झलक रहा है मुझमें तेज-प्रकाश, मेरे रोम-रोम में अंकित है मेरा इतिहास। puchho meri jaati, shakti ho to bhujbal se... ravi samaan deepit lalat se, aur kawach kundal se.... padho use jo jhalak raha hai mujhme tez prakash... mere rom-rom me ankit hai mera itihas... मैं उनका आदर्श, कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे, पूछेगा जग; किंतु, पिता का नाम न बोल सकेंगे. जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा, मन में लिए उमंग जिन्हें चिर-काल कलपना होगा. main unka aadarsh, kahi vyatha na khol sakenge... puchhega jag,  par pi

राही हमारा नाम है...

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                                                                    राही कुछ कह लिया कुछ सुन लिया... कुछ बोझ अपना बँट गया... अच्छा  हुआ  तुम मिल गयी.... कुछ रास्ता ही अपना कट गया...... क्या राह में परिचय बताऊँ....? राही हमारा नाम है - चलना हमारा काम है...!!!!!!!!!!