जोश में होश खो जाना, जवानी की पहचान है...
शबाब और शराब छू लूं उसे, तो किसी की याद आ जाती है... अमावास की काली रातों में भी, परछाई नज़र आती है... होठों से लगा लूं तो सारी तन्हाई दूर हो जाती है... खाली बोतल में भी, किसी की खयाल डूब जाती है... खयालों से सीखा है, सपनों में डूबना... अनुभव बताया है, यादों में खोना... कुछ " सपना " भी तो किसी की याद ही है... यादों से सीखा है, किसी को पाना... गम का दौड़ हो या ख़ुशी की लहर, हंसी तो फिर भी आती है... हँसना और हँसाना, तन्हाई दूर कर जाती है... महफ़िल में भी तन्हा होना, आँखें परिलक्षित करती है... इसलिए तो आँखों में ही, किसी की तस्वीर झलकती है... जब नशा पर भी नशा का शक हो जाता है... नसीब भी कभी-कभी रास्ता बदल जाता है... नशा को नसीब और नसीब को नशा... बड़े खुशनसीब होते हैं वो, जब दोनों आसानी ...