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Showing posts from October, 2020

पोथी, पंडित और प्रेम।

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 मुझे बिलकुल ठीक से याद है कि ये मैने निश्चित कहीं पढा था। पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भया न कोय। ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।।   अब पता लगा कि ये ढाई अक्षर क्या है - ढाई अक्षर के ब्रह्मा और ढाई अक्षर की सृष्टि। ढाई अक्षर के विष्णु और ढाई अक्षर की लक्ष्मी। ढाई अक्षर के कृष्ण और ढाई अक्षर की कान्ता। (राधा रानी का दूसरा नाम) ढाई अक्षर की दुर्गा और ढाई अक्षर की शक्ति। ढाई अक्षर की श्रद्धा और ढाई अक्षर की भक्ति। ढाई अक्षर का त्याग और ढाई अक्षर का ध्यान। ढाई अक्षर की तुष्टि और ढाई अक्षर की इच्छा। ढाई अक्षर का धर्म और ढाई अक्षर का कर्म। ढाई अक्षर का भाग्य और ढाई अक्षर की व्यथा। ढाई अक्षर का ग्रन्थ, और ढाई अक्षर का सन्त। ढाई अक्षर का शब्द और ढाई अक्षर का अर्थ। ढाई अक्षर का सत्य और ढाई अक्षर की मिथ्या। ढाई अक्षर की श्रुति और ढाई अक्षर की ध्वनि। ढाई अक्षर की अग्नि और ढाई अक्षर का कुण्ड। ढाई अक्षर का मन्त्र और ढाई अक्षर का यन्त्र। ढाई अक्षर की श्वास और ढाई अक्षर के प्राण। ढाई अक्षर का जन्म ढाई अक्षर की मृत्यु। ढाई अक्षर की अस्थि और ढाई अक्षर की अर्थी। ढाई अक्षर का प्यार और ढाई अक्षर का यु

वास्तविकता की ओर

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  अनजान नंबर मैंने ट्रेन के दरवाजे के पीछे लिखे नंबर पर कॉल लगाया... "आप रेणु जी बोल रहीं हैं.?" डरी - सहमी सी आवाज में रिप्लाई आया  "जी हां, लेकिन आप कौन और आपको मेरा ये नंबर कहा से मिला.?" "दरअसल वो ट्रेन... दरअसल वो ट्रेन के डिब्बे में किसी ने आपका नंबर आपके नाम से लिख रखा है, शायद आपका कोई अच्छा दुश्मन या फिर कोई बुरा दोस्त होगा।  जो भी हो, मुझे आपसे ये कहना था कि हो सके तो ये नंबर चेंज करवा लीजिये या फिर किसी अच्छे से जवाब के साथ तैयार रहिये।  वैसे अब तक जितने कॉल्स आ गए? अच्छा छोड़िए, आज के बाद अब किसी का भी कॉल नही आएगा। क्योंकि ये नंबर मैं ट्रेन के डब्बे से डिलीट कर चुका हूं। रेणु जी, अब मैं फ़ोन रखता हूं। "अपना ख्याल रखियेगा।" तब उसने मुझे बोला कि नए नए अनजाने नंबर और उनपे गंदे ओर भद्दे बातो की वजह से मैं बहुत परेशान थी। आप जो भी हो आपने मेरी बहुत बड़ी हेल्प की है, क्योंकि मुझे तो समझ ही नही आ रहा था कि ऐसे कॉल क्यों आ रहे हैं। और फिर... मुझे एक अजीब परन्तु वास्तविक दिशा मिली और मैं सार्वजनिक स्थानों पर लिखे ऐसे नंबर को मिटाने में लग गया, ताकि

भावनाओं की लहर

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समुद्र के किनारे जब एक लहर आई तो एक बच्चे की चप्पल अपने साथ बहा ले गई, बच्चा रेत पर अंगुली से लिखता है - "समुद्र चोर है"। उसी समुद्र के एक दूसरे किनारे कुछ मछुआरे बहुत सारे मछली पकड़ रहे होते हैं। वह उसी रेत पर लिखता है - "समुद्र मेरा पालनहार है"। एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है। उसकी मांँ रेत पर लिखती है - "समुद्र हत्यारा है"। एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था। उसे एक बड़े सीप में एक अनमोल मोती मिल गया वह रेत पर लिखता है - "समुद्र दानी है"। और अचानक एक बड़ी लहर आती है और रेत पर लिखे हुए सारी बातों को मिटा कर चली जाती है। लोग जो भी कहे समुद्र के बारे में, लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है।  अपने "उफान" और "शांति" वह अपने हिसाब से तय करता है। अगर विशाल समुद्र बनना है तो किसी के निर्णय पर अपना ध्यान ना दें। जो करना है अपने हिसाब से करें जो गुजर गया उसकी चिंता में ना रहे। हार जीत, खोना पाना, सुख-दुख, इन सबके चलते मन विचलित ना करें। अगर जीवन सुख शांति से ही भरा होता तो आदमी जन्म लेते स

अनचाहा डर

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रूबीना का रिजर्वेशन जिस बोगी में था, उसमें लगभग सभी लड़के ही थे, हां, कुछ गिने चुने महिलाएं जरूर होंगी, लेकिन लड़कों की संख्या ज्यादा थी। अब एक अंदर का डर सताने लगा, कि अब क्या होगा, कैसे सफर कटेगा, आदि सवालों का घेरा मन में उमरने घुमरने लगा।  बहुत हिम्मत जुटा कर टॉयलेट जाने के बहाने रुबिना पूरी बोगी घूम आई थी, मुश्किल से दो या तीन औरतें होंगी । मन अनजाने भय से काँप सा गया। पहली बार अकेली सफर कर रही थी, इसलिये पहले से ही घबराई हुई थी। अतः खुद को सहज रखने के लिए चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी। नवयुवकों का झुंड, जो शायद किसी कैम्प जा रहे थे, के हँसी - मजाक , चुटकुले आदि उसके हिम्मत को और भी तोड़ रहे थे । रूबिना के भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे - धीरे उतरने लगी । सहसा सामने के सीट पर बैठे लड़के ने कहा -- " हेलो , मैं एहसान और आप ? " भय से पीली पड़ चुकी रुबिना ने कहा -- " जी मैं ........." "कोई बात नहीं , नाम मत बताइये । वैसे कहाँ जा रहीं हैं आप ?" रुबिना ने धीरे से कहा-- "इलाहबाद" "क्या इलाहाबाद"... ? वो तो मेरा नान