जोश में होश खो जाना, जवानी की पहचान है...
शबाब और शराब
अमावास की काली रातों में भी, परछाई नज़र आती है...
होठों से लगा लूं तो सारी तन्हाई दूर हो जाती है...
खाली बोतल में भी, किसी की खयाल डूब जाती है...
खयालों से सीखा है, सपनों में डूबना...
अनुभव बताया है, यादों में खोना...
कुछ "सपना" भी तो किसी की याद ही है...
यादों से सीखा है, किसी को पाना...
गम का दौड़ हो या ख़ुशी की लहर, हंसी तो फिर भी आती है...
हँसना और हँसाना, तन्हाई दूर कर जाती है...
महफ़िल में भी तन्हा होना, आँखें परिलक्षित करती है...
इसलिए तो आँखों में ही, किसी की तस्वीर झलकती है...
जब नशा पर भी नशा का शक हो जाता है...
नसीब भी कभी-कभी रास्ता बदल जाता है...
नशा को नसीब और नसीब को नशा...
बड़े खुशनसीब होते हैं वो, जब दोनों आसानी से मिल जाता है...
मधुशाला में "मधु", जब तलाश करने से मिलता है...
क़यामत आ जाती है, जब मधुशाला खाली पड़ जाता है...
क्या होगा जब मधुशाला को मधु का लालसा होगा...?
पानी मांगेगा सागर, और प्यासा रह जायेगा...!
पीने का दिल जो चाहे, इन आँखों से पीजिये...
प्यार मुहब्बत दिल की बातें, दुआ भी तो कीजिये...
प्यासा दिल आबाद है, इससे नशा न सीखिए...
पवित्र कर देंगे जीवन को, नशा-नशा से लीजिये...
किस्मत वाले होते हैं, जो प्यार नशा से करते हैं...
दिल वाले होते हैं, जो "मधु" से प्यार करते हैं...
ज़माने और जवानी में , नशा-ए-प्यार हंगामा...
मुहब्बत दिल से मिलती है, पैमाना-ए-इश्क हंगामा...
खूब पढ़ेगा, खूब बढेगा, मधुकलश को लायेगा...
जीवन के हर मोड़ पर, मधुशाला ललचाएगा...
झूम-झूम कर चूम-चूम कर, मदिरालय को जायेगा...
तब मदिरा बोलेगी उस से, तू क्या मुझसे पायेगा...?
लोग कहते हैं जिन्दा रहेंगे तो मिलते रहेंगे...
इश्क प्यार और मुहब्बत, सब करते रहेंगे...
तुम मेरा साथ दो और मैं तेरा, वादा न करेंगे...
हम कहते हैं, यारों, मिलते रहेंगे तो जिन्दा रहेंगे...
किसी ने मुझसे पूछा, प्यार कहाँ मिलता है...?
किसी ने मुझसे पूछा, यार कहाँ मिलता है...?
किसी ने मुझसे पूछा, "मधु" कहाँ मिलता है...?
मैंने कहा -
इश्क के बाज़ार में, मुहब्बत के शहर में...
प्रेम की नगरी में और दिल की दुकान पर....!!!
बेमुरब्बत है ये दुनियां, इसलिए इसे बेवफा कहते हैं...
शबाब पर शराब का नशा, इम्तेहान कहते हैं...
जोश में होश खो जाना, जवानी की पहचान है...
यारी में यार को, अद्वितीय खुदा कहते हैं
जब जानबूझ कर दुनिया वाले, इसे शबाबी नशा बताते हैं..
कैसे-कैसे हैं इश्क वाले.? इसको भी कुबूल कर जाते हैं...
पागलों की तरह, खाली बोतल और यादों में ढूंढ़ते हैं उसे...
हाथ न लगाना "अल्फा"...! इसलिए तो हम इसे शराब कहते हैं....
Dil le liye bhaiya..Wahhh!!!
ReplyDeleteMadhubani se aya pegaam madhushala k namm ka
Hum b soche... Kya chupa he is madhu me... Bhala ye b humare kis kaam kaam ka!!!
Jioooh...
DeleteI found this blog informative or very useful for me. I suggest everyone, once you should go through this.
ReplyDeleteअल्फा