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Showing posts from January, 2012

करते हैं मुहब्बत सब ही मगर...

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हर दिल को सिला तब मिलता है.. आधी रात को ये दुनियां वाले जब ख़्वाबों में खो जाते हैं. ऐसे में मुहब्बत के रोगी यादों के चराग जलाते हैं... करते हैं मुहब्बत सब ही मगर... हर दिल को सिला तब मिलता है... आती बहारें गुलशन में... हर फूल मगर तब खिलता है... करते हैं मुहब्बत सब ही मगर... मैं रांझा न था, तू हीर न थी... हम अपना प्यार निभा न सके, यूँ प्यार के ख्वाब बहुत देखे... ताबीर मगर हम पा न सके... मैंने तो बहुत चाहा लेकिन, तुम रख न सकी बातो का भरम... अब रह-रह कर याद आता है.. जो तुने किया एस दिल पे सितम,  करते हैं मुहब्बत सब ही मगर... पर्दा जो हटा दूँ  तेरे चेहरे से, तुझे लोग कहेंगे हरजाई, मजबूर हूँ मैं दिल के हाथों.. मंज़ूर नहीं तेरी रुसवाई... सोचा है कि अपने होठों पर मैं चुप की मुहर लगा दूंगा... मैं तेरी सुलगती यादों से अब इस दिल को बहला लूँगा... करते हैं मुहब्बत सब ही मगर... करते हैं मुहब्बत सब ही मगर... हर दिल को सिला तब मिलता है... आती बहारें गुलशन में...हर फूल मगर तब खिलता है... करते हैं मुहब्बत सब ही मगर... _______________________________ भरत अल्फा

मिलने का बहाना ...................

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गाँव तो एक बहाना है. गाँव में तो उनसे मिलने जाना है. वो कमीने दोस्त, जिनके साथ करते थे मस्ती. जब समोसा था दो रूपए का और चाय थी सस्ती..... कंधे पर रहता था एक दूजे का हाथ. सारे जग में लगता था अपना हो राज़. जिन्दगी के वो लम्हे, जो सिर्फ दोस्ती के नाम थे. हाथ में कभी गधे, तो कभी कुत्ते के लगाम थे... वो दूसरे के खेतों से गन्ने चुराना, वो चुपके से रातों को सिटी बजाना... वो पेड़ो की शाखों पे झूले लगाना, वो बूड्ढे की धोती में रॉकेट जलाना... वो खेतों की मेड़ों पे गप्पे लड़ाना, वो अरहर की डंडे से लड़ना-झगड़ना... वो तालाब जिसमे अक्सर नहाते थे हम, वो नदियाँ जिसमे नाव चलाते थे हम... वो दोस्त, वो गलियां, वो बूड्ढे, वो नदियाँ.... वो झूले, वो खेत, वो गन्ने, वो कलियाँ... समय उसे फिर से बुलाने लगी है... मुझे लगा शायद कोई मुझे बुलाने लगी है..... ____________________________ Bharat Alpha

बस इतना याद है और हमारे होठों पर मुस्कान तैर जाता है.....!!!

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दोस्ती एक ऐसा शब्द, जिसके एहसास भर से चेहरे पर खुशियाँ छाने लगती है.. मन में हजारों ख्याल उमरने घुमरने  लगते हैं... न चाहते हुए भी हम बादलों के पार एक ऐसी दुनियां में सफ़र करने लगते हैं, जहा सिर्फ और सिर्फ  खुशियों का ही बसेरा है... दिल तो यादों के गलियारों में बेफिक्र घुमने लगता है... फ्लैशबैक की साड़ी बातें हमारे सामने आकर खड़ी हो जाती है.. . बचपन में वो गिल्ली-डंडा खेलना, स्कूल बंक मार कर सिनेमा हॉल के बहार जाकर फिल्मों के पोस्टर निहारना... कॉलेज के दिनों में बीयर की पहली बोतल, बाइक  से शहर में घूमना, कॉलेज कैंटीन में बैठ कर घंटों बातें करना, बेल बजने के बाद भी क्लास में जाने की नो टेंशन ..... बस इतना याद है, और हमारे होठों पर मुस्कान तैर जाता है.....

इसमे होती नहीं शर्तें.. ये तो नाम है खुद एक शर्त में बांध जाने का....

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दोस्ती नाम है सुख-दुःख के अफसाने का... ये राज़ है सदा मुस्कुराने का... ये पल-दो-पल की रिश्तेदारी नहीं.. ये तो फ़र्ज़ है उम्र भर निभाने का... जिंदगी में आकर कभी वापस न जाने का... न जाने क्यूँ एक अजीब सी डोर में बांध जाने का... इसमे होती नहीं शर्तें.. ये तो नाम है खुद एक शर्त में बांध जाने का.... दोस्ती उस रिश्ते का नाम है जो, जो किसी न किसी रूप में हर relation  में मौजूद है. इसकी महक से हर रिश्ता खुद-ब-खुद मजबूत बनता है... दोस्ती एक एहसास है छुअन है, विश्वाश है.. _____________________________________BHARAT  ALPHA