फिर ना कभी दीवाने ने किसी से मोहब्बत-ऐ-इज़हार किया..........



फिर ना कभी दीवाने ने किसी से मोहब्बत-ऐ-इज़हार किया,
एक दीवाने ने एक हसीना को बेइंतहा प्यार किया,
अपनी खुशियाँ, अपने सपने सब कुछ उस पर वार दिया !
लेकिन हसीना ने उसे हर वक़्त धोखे में रखा,
और एक दिन बेवफाई का खंजर उसके सीने में उतार दिया !

हसीना ने मजबूरियों को सहारा बनाके उससे किनारा कर लिया,
और दीवाने ने भी उसकी यादों से ही गुजारा कर लिया !

तन्हाई में जब हसीना का दिल न लगा,
तो उसने दीवाने से दोबारा आँख मिलाई !

दीवाना तो उसके प्यार में बिलकुल ही अँधा था,
तो समझ लिया हसीना के धोखे को प्यार की सच्चाई !
एक दिन दीवाने ने उसे अपना बनाने की बात की,
मगर हसीना ने फिर वहीँ से सुरुआत की !

इस जख्म से दीवाने का दिल पूरी तरह चकनाचूर हुआ,
प्यार करके धोखा देना अब दुनिया का दस्तूर हुआ !

दीवाने ने हिम्मत करके उससे नाता तोड़ दिया,
उससे जुडी सब राहों से उसने मुह मोड़ लिया !

फिर कभी ना वो उन राहों पर गया, जहां उसे तन्हाई मिले,
प्यार के बदले में हरदम सनम से बेवफाई मिले !

ये सब जान हसीना को अपनी किस्मत पर धिक्कार हुआ,
अपनी बेवफाई को याद कर उसका दिल शर्मसार हुआ !

जब दोनों साथ थे तब दीवाने को हरवक्त बेवफाई मिली,
आज जब दोनों अलग हुए, तब हसीना को भी उससे प्यार हुआ!

लेकिन अब दीवाने के लिए प्यार के मायने बदल गए,
हसीना के लिए प्यार के वादे मोम की तरह पिघल गए !

फिर ना कभी दीवाने ने किसी से मोहब्बत-ऐ-इज़हार किया........

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