जब चली सर्द हवा मैंने तुझे याद किया


दिल की चोटों ने कभी 
चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा 
मैंने तुझे याद किया


ये मैं सौ जाँ से तिरे 
तर्ज़-ए-तक़ल्लुम के निसार
फिर तो फ़रमाइये 
क्या आपने इरशाद किया


इसका रोना नहीं
 क्यों तुमने किया दिल बरबाद
इसका ग़म है
 कि बहुत देर से बरबाद किया


इतना मानूस हूँ
 फ़ितरत से कली जब चटकी
झुक के मैंने ये कहा
 मुझसे कुछ इरशाद किया


मेरी हर साँस है
 इस बात की शाहिद ऐ मौत
मैंने हर लुत्फ़ के मौक़े पे
 तुझे याद किया


मुझको तो होश नहीं
 तुमको ख़बर हो शायद
लोग कहते हैं
 कि तुमने मुझे बरबाद किया


कुछ नहीं इसके सिवा
 'जोश' हरीफ़ों का कलाम
वस्ल ने शाद किया
 हिज्र ने ना-शाद किया

Alpha's SHOWSTYLE

Comments

Read More

मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा...

सामा चकेवा :: मिथिलांचल

घायल सैनिक का पत्र - अपने परिवार के नाम...( कारगिल युद्ध )

आलसी आदमी

आरम्भ है प्रचंड बोले मस्तकों की झुंड आज जंग की घड़ी की तुम गुहार दो,...

जोश में होश खो जाना, जवानी की पहचान है...

लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ.....

Rashmirathi - Ramdhari singh 'dinkar'... statements of Karna....

क्या तुझपे नज़्म लिखूँ

होठों पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो....