मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है...
बरसात बरसात भी आकर चली गयी, बादल भी गरज कर बरस गए.... पर उसकी एक झलक को हम, ए हुस्न के मालिक तरस गए... कब प्यास बुझेगी आँखों की, दिन रात ये दुखड़ा रहता है.... मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है.. .. कोई माने या ना माने, मैं हूँ आशिक आवारा... मैं हूँ दीवाना मुझको चाहत ने है मारा... ये चिकने-चिकने चेहरे ये गोरी-गोरी बाँहें... बेचैन मुझे करती है ये चंचल शौक अदाएं... मुझको मिली है ये बेचैनियाँ... लिखूं ख्यालों में कहानियां... माने न कहना पागल, मस्त पवन सा दिल ये डोले... हौले हौले .. जब भी कोई लड़की देखूं मेरा दिल दीवाना बोले ओले ओले ओले गाओ तराना यारो झूम झूम के हौले हौले ओले ओले ओले ओले ओले ओले.. ..