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Showing posts from February, 2011

मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है...

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बरसात  बरसात भी आकर चली गयी, बादल भी गरज कर बरस गए.... पर उसकी एक झलक को हम, ए हुस्न के मालिक तरस गए... कब प्यास बुझेगी आँखों की, दिन रात ये दुखड़ा रहता है.... मेरे सामने वाली खिड़की में एक चाँद का टुकड़ा रहता है.. .. कोई माने या ना माने, मैं हूँ आशिक आवारा... मैं हूँ दीवाना मुझको चाहत ने है मारा... ये चिकने-चिकने चेहरे ये गोरी-गोरी बाँहें... बेचैन मुझे करती है ये चंचल शौक अदाएं... मुझको मिली है ये बेचैनियाँ... लिखूं ख्यालों में कहानियां... माने न कहना पागल, मस्त पवन सा दिल ये डोले... हौले हौले .. जब भी कोई लड़की देखूं मेरा दिल दीवाना बोले ओले ओले ओले गाओ तराना यारो झूम झूम के हौले हौले  ओले ओले ओले ओले ओले ओले.. ..

लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ.....

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लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ.... .                        लोग कहते हैं मैं शराबी हूँ... तुमने भी  शायद यही सोच लिया...                                                     किसी पे हुस्न का गुरूर, जवानी का नशा.... किसी के दिल में मुहब्बत की , रवानी का नशा... किसी को देख के साँसों से, उभरता है नशा.... बिना पिए भी कभी हद से, गुजरता है नशा. नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ जरा... किसी है होश मेरे सामने तो लाओ जरा... नशा है सब पे मगर रंग नशे का है जुदा... खिली -खिली  हुई सुबह पे है शबनम का नशा... हवा पे खुशबू का बादल पे है रिमझिम  का नशा.. .    कहीं शुरूर है खुशियों का , कहीं  गम का नशा... नशा शराब में होता तो, नाचती बोतल.... मयकदे झूमते पैमानों, में होती हल-चल... . नशे में कौन नहीं है मुझे बताओ जरा... किसी है होश मेरे सामने तो लाओ जरा... लो...

साड़ी सही नहीं चढ़ पाई है..

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            "  देखा है ग्रामों की अनेक रम्भाओं  को.... जिनकी आभा पर धूल अभी तक छाई है.....!!! रेशमी देह पर उन अभागिनों की अब तक,,,,... रेशम क्या.....? साड़ी सही नहीं चढ़ पाई है.................!!!!!!!!"    

होठों पर गंगा हो, हाथो में तिरंगा हो....

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                                      तिरंगा  शोहरत ना अता करना मौला, दौलत ना अता करना मौला... बस इतना अता करना चाहे, जन्नत ना अता करना मौला... शम्मां-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो... होठों पर गंगा हो,  हाथो में तिरंगा हो.... बस एक सदा ही सुने सदा, बर्फीली मस्त हवाओं में... बस एक दुआ ही उठे सदा, जलते -तपते सेहराओं में... जीते जी इसका मान रखे, मर कर मर्यादा याद रहे... हम रहे कभी ना रहे मगर, इसकी सज-धज आबाद रहे... गोधरा ना हो, गुजरात ना हो, इंसान ना नंगा हो.... होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो.... रचना- कुमार विश्वाश

हर गली में मुमताज़ बनाते रहिये......

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                                                        ताज और मुमताज सफ़र लम्बा है दोस्त बनाते रहिये... दिल मिले-ना-मिले, हाथ बढ़ाते रहिये.... ताजमहल बनाना बहुत महंगा  (costly) पड़ेगा... इसलिए हर गली में मुमताज़ बनाते रहिये......

हंगामा , by kumar vishwash.....

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                                                    हंगामा भ्रमर कोई कुमुदिनी पर मचल बैठे तो हंगामा... हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठे तो हंगामा... अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मुहब्बत का... मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा.... हुए पैदा जो धरती पर, हुआ आबाद हंगामा... जवानी तो हमारी टल गयी हुआ बर्बाद हंगामा... हमारे भाल पर तकदीर ने लिख दिया जैसे... हमारे सामने हैं और हमारे बाद हंगामा... जब आता है जीवन में खयालातों का हंगामा... मुलाकातों, हँसीबातों , या जज्बातों का हंगामा... जवानी के क़यामत दौड़ में  ये  सोचते हैं सब... ये हंगामे की रातें  हैं या है रातों का हंगामा... रचना- कुमार विश्वाश

घायल सैनिक का पत्र - अपने परिवार के नाम...( कारगिल युद्ध )

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जय हिंद माँ से---    माँ तुम्हारा लाडला रण में अभी घायल हुआ है...    पर देख उसकी वीरता को, शत्रु भी कायल हुआ है...    रक्त की होली रचा कर, मैं प्रलयंकारी दिख रहा हूँ ...    माँ उसी शोणित से तुमको, पत्र अंतिम लिख रहा हूँ...    युद्ध भीषण था, मगर ना इंच भी पीछे हटा हूँ..    माँ तुम्हारी थी शपथ, मैं आज इंचो में कटा हूँ...    एक गोली वक्ष पर कुछ देर पहले ही लगी है...    माँ, कसम दी थी जो तुमने, आज मैंने पूर्ण की है...    छा रहा है सामने लो आँखों के आगे अँधेरा...    पर उसी में दिख रहा है, वह मुझे नूतन सवेरा...    कह रहे हैं शत्रु भी, मैं जिस तरह सौदा हुआ हूँ...    लग रहा है सिंहनी के कोख से पैदा हुआ हूँ...    यह ना सोचो माँ की मैं चिर-नींद लेने जा रहा हूँ ...    माँ, तुम्हारी कोख से फिर जन्म लेने आ रहा हूँ... पिता से---    मैं तुम्हे बचपन में पहले ही बहुत दुःख दे चुका हूँ...    और कंधो पर खड़ा हो, आसमां सर ले चुका हू...

Rashmirathi - Ramdhari singh 'dinkar'... statements of Karna....

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अलग नगर के कोलाहल से, अलग पुरी-पुरजन से,  कठिन साधना में उद्योगी लगा हुआ तन-मन से। निज समाधि में निरत, सदा निज कर्मठता में चूर, वन्यकुसुम-सा खिला जग की आँखों से दूर। alag nagar ki kolahal se, alag puri purjan se... kathin saadhna me udyogi, laga hua tan-man se... niz saadhna me nitrat sada, niz karmathta me choor... wanya kusum sa khila KARNA, jag ki aankho se door... पूछो मेरी जाति, शक्ति हो तो, मेरे भुजबल से, रवि-समाज दीपित ललाट से, और कवच-कुण्डल से। पढो उसे जो झलक रहा है मुझमें तेज-प्रकाश, मेरे रोम-रोम में अंकित है मेरा इतिहास। puchho meri jaati, shakti ho to bhujbal se... ravi samaan deepit lalat se, aur kawach kundal se.... padho use jo jhalak raha hai mujhme tez prakash... mere rom-rom me ankit hai mera itihas... मैं उनका आदर्श, कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे, पूछेगा जग; किंतु, पिता का नाम न बोल सकेंगे. जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा, मन में लिए उमंग जिन्हें चिर-काल कलपना होगा. main unka aadarsh, kahi vyatha na khol sakenge... puchhega jag,...

राही हमारा नाम है...

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                                                                    राही कुछ कह लिया कुछ सुन लिया... कुछ बोझ अपना बँट गया... अच्छा  हुआ  तुम मिल गयी.... कुछ रास्ता ही अपना कट गया...... क्या राह में परिचय बताऊँ....? राही हमारा नाम है - चलना हमारा काम है...!!!!!!!!!!

अरमान

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muhabbat  ka  yaaro  sila  kuchh  nahi... ek  gam  ke  siva  aur  mila  kuchh  nahi... saare  armaan  jal  kar  raakh  ho  gaye... aur  log  kahte  hain,  jala  kuchh  nahi.........!!!!!!  

राधे कृष्ण का रास लीला...

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madhuban me jo kanhaiya kisi gopi se mile..... kabhi muskaye, kabhi chhede, kabhi baat kare.......... radha kaise na jale........ aag tann mann me lage.... radha kaise na jale.......... ... madhuban me bhale kanha kisi gopi se mile..... mann me to radha ke hi prem ke ye phool khile.... kis liye radha jale...... bina soche samjhe... kis liye radh jale........ madhuban me jo kanhaiya kisi gopi se mile....

हसरत :: प्यार का

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hasrat hi rahi hamse bhi kabhi koi pyar karta ... koi dil pe bhi meethi nazar ekbaar karta, koi pyar karta.... nikle the ham dil ke jholi liye... duniya ne kaante hi kaante diye... itne to bure na the hamse nazar koi char karta, koi pyar karta... duniya me kya kya na mele rahe... ham the akele, akele rahe... dil rakhte the ham, hamko bhi koi dildar karta, koi pyar karta... maangi thi hamne khudayee kaha... thokar pe thokar mili jo yaha... kya jata agar koi dil ka nagar gulzar karta, koi pyar karta... hasrat hi rahi hamse bhi kabhi koi pyar karta ... koi dil pe bhi meethi nazar ekbaar karta, koi pyar karta.... Alpha