साड़ी सही नहीं चढ़ पाई है..


 
  

       "  देखा है ग्रामों की अनेक रम्भाओं  को....
जिनकी आभा पर धूल अभी तक छाई है.....!!!रेशमी देह पर उन अभागिनों की अब तक,,,,...रेशम क्या.....?साड़ी सही नहीं चढ़ पाई है.................!!!!!!!!"

   


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