आत्मनिर्भरता
आत्मनिर्भरता
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कक्षा में गुरुजी आत्मनिर्भर होने/बनने का पाठ पढ़ा रहे थे। सभी बच्चे गुरुजी के बातों से सहमत भी थे। गुरुजी के हर बात को बच्चे बहुत ही ध्यान से सुन-समझ रहे थे। इसी बीच एक छात्र को लगा कि अगर आत्मनिर्भर पर आधारित कोई उदाहरण मिल जाए तो तथ्य को बढ़िया से समझा जा सकता है। उसने गुरुजी से कहा, "महाशय, कृपया उदाहरण के माध्यम से आत्मनिर्भर को समझाया जाय। समझने में आसानी होगी।"
गुरुजी छात्र की बात को मानते हुए एक कहानी सुनाने का फैसला किया, और बच्चों को कहानी सुनान लगे।
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एक गाँव में एक किसान रहता था। उसका गाँव के बाहर एक छोटा सा खेत था। एक बार फसल बोने के कुछ दिनों बाद उसके खेत में चिड़िया ने घोंसला बना लिया।
कुछ समय बीता, तो चिड़िया ने वहाँ दो अंडे भी दे दिए। उन अंडों में से दो छोटे-छोटे बच्चे निकल आये। वे बड़े मज़े से उस खेत में अपना जीवन गुजारने लगे।
कुछ महीनों बाद फसल कटाई का समय आ गया। गाँव के सभी किसान अपने खेतों की फ़सल की कटाई में लग गए। अब चिड़िया और उसके बच्चों का वह खेत छोड़कर नए स्थान पर जाने का समय आ गया था।
एक दिन खेत में चिड़िया के बच्चों ने किसान को यह कहते सुना कि कल मैं फ़सल कटाई के लिए अपने पड़ोसी से पूछूंगा और उसे खेत में भेजूंगा। यह सुनकर चिड़िया के बच्चे परेशान हो गए। उस समय चिड़िया कहीं गई हुई थी। जब वह वापस लौटी, तो बच्चों ने उसे किसान की बात बताते हुए कहा, “माँ, आज हमारा यहाँ अंतिम दिन है। रात में हमें दूसरे स्थान के लिए यहाँ से निकला होगा।”
चिड़िया ने उत्तर दिया, “इतनी जल्दी नहीं बच्चों। मुझे नहीं लगता कि कल खेत में फसल की कटाई होगी।”
चिड़िया की कही बात सही साबित हुई। दूसरे दिन किसान का पड़ोसी खेत में नहीं आया और फ़सल की कटाई नहीं हो सकी।
शाम को किसान खेत पर आया और खेत को जैसे का तैसा देख बुदबुदाने लगा कि ये पड़ोसी तो नहीं आया। ऐसा करता हूँ, कि कल अपने किसी रिश्तेदार को भेज देता हूँ।”
चिड़िया के बच्चों ने फिर से किसान की बात सुन ली और परेशान हो गए। जब चिड़िया को उन्होंने ये बात बताई, तो वह बोली, “तुम लोग चिंता मत करो। आज रात हमें जाने की ज़रुरत नहीं है। मुझे नहीं लगता कि किसान का रिश्तेदार आएगा।”
ठीक ऐसा ही हुआ और किसान का रिश्तेदार अगले दिन खेत नहीं पहुँचा। चिड़िया के बच्चे हैरान थे कि उनकी माँ की हर बात सही हो रही है।
अगली शाम किसान जब खेत पर आया, तो खेत की वही स्थिति देख फिर से बुदबुदाने लगा कि ये लोग तो कहने के बाद भी कटाई के लिए नहीं आते है। कल मैं ख़ुद आकर फ़सल की कटाई शुरू करूंगा।
चिड़िया के बच्चों ने किसान की ये बात भी सुन ली। अपनी माँ को जब उन्होंने ये बताया तो वह बोली, “बच्चों, अब समय आ गया है ये खेत छोड़ने का। हम आज रात ही ये खेत छोड़कर दूसरी जगह चले जायेंगे।”
दोनों बच्चे हैरान थे, कि इस बार ऐसा क्या है, जो माँ खेत छोड़ने को तैयार है। उन्होंने पूछा, तो चिड़िया बोली, “बच्चों, पिछली दो बार किसान कटाई के लिए दूसरों पर निर्भर था। दूसरों को कहकर उसने अपने काम से पल्ला झाड़ लिया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। इस बार उसने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। इसलिए वह अवश्य आएगा।”
उसी रात चिड़िया और उसके बच्चे उस खेत से उड़ गए और कहीं और चले गए। दूसरे दिन शाम को चिड़िया अपने बच्चों के साथ उस खेत पर आयी खेत की स्थिति देखने के लिए। खेत से फसल की कटाई हो चुकी थी। खेत को देख कर चिड़िया वापस लौट गई अपने नए घर पर।
सीख : दूसरों की सहायता लेने में कोई बुराई नहीं है। किंतु यदि आप समय पर काम शुरू करना चाहते हैं, और यह भी चाहते हैं कि वह सही समय पर पूरा हो जाये, तो उस काम की ज़िम्मेदारी स्वयं लेनी होगी। दूसरे भी मदद उसी की करते हैं, जो अपनी मदद करता है।
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कहानी सुन कर कक्षा के सभी बच्चे अब समझ गए कि आत्मनिर्भर होना कितना जरूरी है।
अब आपकी बारी है, आप भी अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं। यह अच्छी बात है कि आप अपने बच्चे के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं, परन्तु उन्हें भी सांसारिक जीवन का वास्तविक अनुभव होना ही चाहिए। आप मार्ग अवश्य ही प्रशस्त करें परन्तु चलने का तरीका उन्हे स्वयं बनाने दें।
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