सीनियर सिटिजन और स्मार्टनेस की कीमत एक साथ अटैक करता है आपके ही शरीर पर।

सभी वरिष्ठ नागरिक (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें, हो सकता है आपके लिए फायदेमंद हो...  

वृद्ध और बालक

आप जानते हैं कि मन चाहे कितना ही जोशीला हो पर साठ की उम्र पार होने पर यदि आप अपनेआप को फुर्तीला और ताकतवर समझते हैं तो यह गलत है।  वास्तव में ढलती उम्र के साथ शारीरिक  ताकत और फुर्ती, दोनों ही ढलती है।


आपका शरीर ढालान पर होता है, जिससे हड्डियांजोड़ कमजोर होते हैं, पर कभी-कभी मन भ्रम बनाए रखता है कि ‘ये काम तो मैं चुटकी में कर लूँगा’।  पर बहुत जल्दी सच्चाई सामने आ जाती है एक अत्यंत ही कष्टदायक नुकसान के साथ।


सीनियर सिटिजन होने पर जिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, ऐसी कुछ टिप्स दे रहा हूं। 

  • धोखा तभी होता है जब मन सोचता है कि ‘कर लूंगा’ और शरीर करने से ‘चूक’ जाता है।  परिणाम एक एक्सीडेंट और शारीरिक क्षतिये क्षति फ्रैक्चर से लेकर ‘हेड इंज्यूरी’ तक हो सकती है।  यानी कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है। इसलिए जिन्हें भी हमेशा हड़बड़ी में काम करने की आदत हो, बेहतर होगा कि वे अपनी आदतें बदल डालें।

  • भ्रम न पालें, सावधानी बरतें क्योंकि अब आप पहले की तरह फुर्तीले नहीं रहे। छोटी सी चूक कभी बड़े नुक़सान का कारण बन जाती है

  • सुबह नींद खुलते ही तुरंत बिस्तर छोड़ खड़े न हों, क्योंकि आँखें तो खुल जाती हैं मगर शरीर व नसों का रक्त प्रवाह पूर्ण चेतन्य अवस्था में नहीं हो पाता । अतः पहले बिस्तर पर कुछ मिनट बैठे रहें और पूरी तरह चैतन्य हो लें।  कोशिश करें कि बैठे-बैठे ही स्लीपर/चप्पलें पैर में डाल लें और खड़े होने पर मेज या किसी सहारे को पकड़कर ही खड़े हों। अक्सर यही समय होता है डगमगाकर गिर जाने का

  • गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं बाथरुम/वॉशरुम या टॉयलेट में ही होती हैं।  आप चाहे अकेले हों, पति/पत्नी के साथ या संयुक्त परिवार में रहते हों लेकिन बाथरुम में अकेले ही होते हैं।

  • यदि आप घर में अकेले रहते हों, तो और अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि गिरने पर यदि उठ न सके तो दरवाजा तोड़कर ही आप तक सहायता पहुँच सकेगी, वह भी तब जब आप पड़ोसी तक समय से सूचना पहुँचाने में सफल हो सकेंगे

  • याद रखें बाथरुम में भी मोबाइल साथ हो ताकि "वक्त और जरुरत" दोनों एक दुसरे के काम आ सके।

  • मैं मानता हूँ कि आप देशी शौचालय में अभ्यस्त हैं, परन्तु देशी शौचालय के बजाय हमेशा यूरोपियन कमोड वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें।  यदि न हो तो समय रहते बदलवा लें, इसकी तो जरुरत पड़नी ही है, अभी नहीं तो कुछ समय बाद। संभव हो तो कमोड के पास एक हैंडिल लगवा लें।  कमजोरी की स्थिति में इसे पकड़ कर उठने के लिए ये जरूरी हो जाता है

  • हमेशा आवश्यक ऊँचे स्टूल पर बैठकर ही नहायें। बाथरुम के फर्श पर रबर की मैट जरूर बिछाकर रखें ताकि आप फिसलने से बच सकें। 
  • गीले हाथों से टाइल्स लगी दीवार का सहारा कभी न लें, हाथ फिसलते ही आप ‘डिस-बैलेंस’ होकर गिर सकते हैं।
  • बाथरुम के ठीक बाहर सूती मैट भी रखें जो गीले तलवों से पानी सोख ले।  कुछ सेकेण्ड उस पर खड़े रहें फिर फर्श पर पैर रखें वो भी सावधानी से। 
  • अंडरगारमेंट हों या कपड़े, अपने चेंजरूम या बेडरूम में ही पहनें।  अंडरवियर, पाजामा या पैंट खडे़-खडे़ कभी नहीं पहनें। हमेशा दीवार का सहारा लेकर या बैठकर ही उनके पायचों में पैर डालें, फिर खड़े होकर पहनें, वर्ना दुर्घटना हो सकती है।


कभी-कभी स्मार्टनेस की बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाती है।

  • अपनी दैनिक जरुरत की चीजों को नियत जगह पर ही रखने की आदत डाल लें, जिससे उन्हें आसानी से उठाया या तलाशा जा सके।

  • भूलने की आदत हो, तो आवश्यक चीजों की लिस्ट मेज या दीवार पर लगा लें, घर से निकलते समय एक निगाह उस पर डाल लें, आसानी रहेगी।

  • जो दवाएं रोजाना लेनी हों, उनको प्लास्टिक के प्लॉनर में रखें जिससे जुड़ी हुई डिब्बियों में हफ्ते भर की दवाएँ दिन-वार के साथ रखी जाती हैं। अक्सर भ्रम हो जाता है कि दवाएं ले ली हैं या भूल गये। प्लॉनर में से दवा खाने में चूक नहीं होगी।

  • सीढ़ियों से चढ़ते उतरते समय, सक्षम होने पर भी, हमेशा रेलिंग का सहारा लें, खासकर ऑटोमैटिक सीढ़ियों पर। ध्यान रहे अब आपका शरीर आपके मन का ओबिडियेंट सरवेन्ट नहीं रहा।

  • बढ़ती आयु में कोई भी ऐसा कार्य जो आप सदैव करते रहे हैं, उसको बन्द नहीं करना चाहिएकम से कम अपने से सम्बन्धित अपने कार्य स्वयं ही करें।

  • नित्य प्रातःकाल घर से बाहर निकलने, पार्क में जाने की आदत न छोड़ें, छोटी मोटी एक्सरसाइज भी करते रहें। नहीं तो आप योग व व्यायाम से दूर होते जाएंगे और शरीर के अंगों की सक्रियता और लचीला पन कम होता जाएगा।  हर मौसम में कुछ योग-प्राणायाम अवश्य करते रहें।

  • घर में या बाहर हुकुम चलाने की आदत छोड़ दें। अपना पानी, भोजन, दवाई इत्यादि स्वयं लें जिससे शरीर में सक्रियता बनी रहे। बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की सहायता लेनी चाहिए। 
  • घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ अधिक समय बिताएं, लेकिन उनको अधिक टोका-टाकी न करें।  उनको प्यार से सिखायें। ध्यान रखें कि अब आपको सब के साथ एडजस्ट करना है न कि सब को आपसे।
    इस एडजस्ट होने के लिए चाहे बड़ा परिवार हो,  छोटा परिवार हो या कि पत्नी/पति हो, मित्र हो, पड़ोसी या समाज।

एक मूल मंत्र सदैव उपयोग करें। 

    • "नोन" अर्थात नमक।  भोजन के प्रति स्वाद पर नियंत्रण रखें।
    • "मौन"  कम से कम एवं आवश्यकता पर ही बोलें। 
    • "कौन" (मसलन कौन आया  कौन गया, कौन कहां है, कौन क्या कर रहा है, आदि ) अपनी दखलंदाजी कम कर दें।                 


नोन, मौन, कौन के मूल मंत्र को जीवन में उतारते ही वृद्धावस्था प्रभु का वरदान बन जाएगी जिसको बहुत कम लोग ही उपभोग कर पाते हैं। 

आप बहुत ही भाग्यशाली हैं, इसको समझें

कृपया इस संदेश को सबसे पहले अपने ही शरीर के अंगों तक पहुंचाएं

उसके बाद  अपने घर-परिवार, रिश्तेदारों, पड़ोसियों, आसपड़ोस के वरिष्ठ सदस्यों आदि को भी अवश्य प्रेषित करें।

वृद्धावस्था को आनंददायक बनायें




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