किट्टू मामा : कृष्णा मूर्ति अय्यर
आइये मिलते हैं आज किट्टू मामा से
जिनका नाम कृष्णा मूर्ति अय्यर है, ये 65 साल के सीनियर सिटीजन हैं और डोसा इडली बेचते हैं त्रिची के नज़दीक थेपाकुलम नामक जगह पर जो चैथरियम बस स्टॉप के नज़दीक है।
इनकी दुकान सुबह 6 बजे चालू हो जाती है और स्वादिष्ट इडली डोसे वो भी एकदम वाजिब दामों पर, खाने वालों की लाइन लगनी शुरू हो जाती है।
इनकी पत्नी और एक युवा सहयोगी भी इनके साथ इनका हाथ बंटाते हैं।
इनके ज्यादातर क्लाइंट दिहाड़ीदार मजदूर और कामकाजी महिलाएं हैं, बस कंडक्टर, रिक्षा वाले, रेहड़ी वाले,बस ड्राइवर, ट्रक ड्राइवर सभी लोग इनकी सेवा भावना से परोसे गये स्वादिष्ट जायकेदार भोजन के लिए इनकी इज़्ज़त करते हैं।
कुछ दिन पहले की बात है किट्टू मामा का परिवार अपने प्रिय ग्राहकों के लिये इडली डोसे परोसने में व्यस्त था एक लोकल नेता जिसका नाम पण्डियन था वो अपने गुर्गों के साथ खाने पीने आ पहुंचा और खा पी कर चलने लगा तो किट्टू मामा की पत्नी ने उसे पैसों के लिए टोक लिया।
नेता जी पूरे नशे में धुत्त थे और दल बल के साथ भी थे तो ज्यादा जोश में आ गए उसने किट्टू मामा को धक्का दिया और वहां पड़े बर्तनों को फैंकने लगे। पांडियन बोला ऐ अय्यर तुम जनेऊधारी होकर मेरे से पैसे मांगते हो। तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हो गयी और यह कहते कहते पांडियन ने किट्टू मामा का जनेऊ खींच लिया जो दो हिस्सों में तत्काल टूट गया।
किट्टू मामा भी कोई याचक पाचक टाइप निर्बल ब्राह्मण नही था उसने भी पारंपरिक गुरुकुल में पढ़ाई करके मार्शल सिलाबट्टम आर्ट की सिखलाई ली हुई थी।
उन्होंने तुरंत वहीं नज़दीक पड़ा हुआ एक बांस उठा लिया और उसका सोटा बना कर पांडियन समेत उसके सारे गुर्गे छील डाले।
इस अकल्पनीय और अप्रत्याशित कुटापे को पांडियन और उसके गुर्गे झेल नही पाए और वहां से दौड़ गए।
इसके बाद किट्टू मामा के सारे ग्राहक इक्कठे हुए और मामा को सपोर्ट किया और सबने कहा कि हम तैयारी रखेंगे यदि वो पांडियन लौट कर आता है तो वो अपने पांवों पर चल कर नही जाएगा।
किट्टू मामा ने कहा कि अब वो नही आएगा, दो दिन कुछ नही हुआ तीसरे दिन लोकल केबल टी वी पर खबर आई कि पांडियन का एक्सीडेंट हो गया है और उसे ब्लड को आवश्यकता है।
विधाता की करनी देखिए जो दुर्लभ ब्लड ग्रुप पांडियन का था वही किट्टू मामा का था, तो किट्टू मामा सीधे हॉस्पिटल चले गए और अपना खून दे आये।
पांडियन की जब सर्जरी हो गयी और वो होश में आ गया और आराम कर रहा था तो किट्टू मामा उसका हालचाल लेने चले गये।
अब पांडियन को काटो तो खून नही,वो अपने किये पर शर्मिंदा था उसने जब किट्टू मामा को थैंक्स बोला तो मामा ने कहा पांडियन धन्यवाद किसी बात का नही, आपने मेरे जनेऊ पर हाथ डाला उसकी रक्षा करना मेरा धर्म था और जब आपको रक्त की आवश्यकता पड़ी तो भी आपकी जान बचाना मेरा धर्म था।
और धर्म का केवल एक ही अर्थ होता है ड्यूटी जिसका अर्थ कर्तव्य होता है बस और कुछ नही।
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